केंद्र सरकार पंचायतों में ‘प्रधान पति’ प्रथा रोकने के लिए सख्त सजा का प्रावधान करने जा रही है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बनी समिति ने महिला प्रतिनिधियों को सशक्त बनाने के कई सुझाव दिए हैं.
- महिला नेताओं को ताकत देने के लिए केंद्र सरकार की समिति ने बड़ी सिफारिश की.
- प्रधान पति, सरपंच पति और मुखिया पति के खिलाफ होने जा रहा बड़ा ऐक्शन.
- यूपी-बिहार, हरियाणा समेत कई राज्यों में यह संकट काफी बड़ा, होने वाली है टेंशन.
महिला नेताओं को ताकत देने के लिए केंद्र सरकार की समिति ने बड़ी सिफारिश की.
प्रधान पति, सरपंच पति और मुखिया पति के खिलाफ होने जा रहा बड़ा ऐक्शन.
यूपी-बिहार, हरियाणा समेत कई राज्यों में यह संकट काफी बड़ा, होने वाली है टेंशन.
बीवी प्रधान तो उसके नाम पर आप रौब नहीं गांठ पाएंगे. अगर ऐसा किया तो जेल होनी तय मानिए. केंद्र सरकार पंचायतों में ‘प्रधान पति’, ‘सरपंच पति’ या ‘मुखिया पति’ जैसी प्रथा को रोकने के लिए सख्त सजा का प्रावधान करने जा रही है. पंचायती राज मंत्रालय की एक समिति ने इसकी सिफारिश की है. समिति का कहना है कि अगर कोई पुरुष रिश्तेदार महिला प्रतिनिधि की जगह काम करता हुआ पाया जाए तो उसे कड़ी सजा दी जाए.
बीवी प्रधान तो उसके नाम पर आप रौब नहीं गांठ पाएंगे. अगर ऐसा किया तो जेल होनी तय मानिए. केंद्र सरकार पंचायतों में ‘प्रधान पति’, ‘सरपंच पति’ या ‘मुखिया पति’ जैसी प्रथा को रोकने के लिए सख्त सजा का प्रावधान करने जा रही है. पंचायती राज मंत्रालय की एक समिति ने इसकी सिफारिश की है. समिति का कहना है कि अगर कोई पुरुष रिश्तेदार महिला प्रतिनिधि की जगह काम करता हुआ पाया जाए तो उसे कड़ी सजा दी जाए.
समिति ने अपनी रिपोर्ट में महिला जनप्रतिनिधियों को ताकत देने के लिए कई सुझाव दिए हैं. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें कुछ पंचायत समितियों और वार्ड समितियों में महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित करना, ‘प्रधान पति’ प्रथा रोकने वाले लोगों को पुरस्कार देना, महिला लोकपाल की नियुक्ति करना और ग्राम सभाओं में महिला प्रधानों का शपथ ग्रहण समारोह आयोजित करना शामिल है.
समिति ने क्या सुझाव दिए
इसके अलावा, समिति ने महिला पंचायत नेताओं का संगठन बनाने और महिलाओं को ट्रेनिंग, कानूनी सलाह और मदद देने के लिए एक सेंटर बनाने की भी वकालत की है.
ये भी कहा है कि इन सभी समस्याओं को सिर्फ टेक्नोलॉजी के माध्यम से सुलझाया जा सकता है. महिला नेताओं को वर्चुअल रियलिटी की ट्रेनिंग देनी होगी. उनकी भाषा में कानूनी सलाह देने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करना सिखाना होगा.
एक व्हाट्सएप ग्रुप भी बनाया जाना चाहिए, जिसमें सभी पंचायत और ब्लॉक स्तर के अधिकारी भी जुड़े हुए हों. पंचायत की बैठकों और फैसलों में महिलाओं को शामिल करने के लिए मंत्रालय के पोर्टल का इस्तेमाल करना भी सिखाया जाए.
15 लाख पंचायतें महिलाओं के हवाले
भारत में लगभग 2.63 लाख पंचायतें हैं, जिनमें 32.29 लाख चुने हुए प्रतिनिधि हैं. लेकिन सबसे खास बात, इनमें से 15.03 लाख (46.6 प्रतिशत) पंचायतें महिलाएं चला रही हैं. पंचायतों में महिलाओं की संख्या तो बढ़ी है, लेकिन फैसले लेने में उनकी भूमिका अभी भी कम है. ज्यादातर फैसले, उनके पति, उनके ससुर, भाई जैसे लोग लेते हैं. ‘प्रधान पति’ जैसी प्रथा उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्यों में ज्यादा देखने को मिलती है.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बनी थी समिति
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पंचायती राज मंत्रालय ने सितंबर 2023 को एक समिति बनाई थी. इस समिति का काम ‘प्रधान पति’ प्रथा की जांच करना और इससे जुड़े दूसरे मुद्दों पर गौर करना था. समिति ने अपनी रिपोर्ट में महिला प्रतिनिधियों को लगातार प्रशिक्षण देने पर जोर दिया है. इनमें स्थानीय भाषाओं में प्रशिक्षण, भारतीय प्रबंधन संस्थानों, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के साथ सहयोग, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की मदद और महिला विधायकों और सांसदों की भागीदारी शामिल है.
बीवी प्रधान तो नहीं चलेगी आपकी रंगबाजी, प्रधान पति बने तो जाएंगे जेल!