पंचायत भवन निर्माण में भारी अनियमितता: ग्रामीणों का फूटा गुस्सा, पूछा – “आख़िर बन क्या रहा है?”| सिस्टेमेटिक कंपनी और अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग

रुपौली संवाददाता – पांडु कुमार

रूपौली (पूर्णियाँ ) टीकापट्टी थाना क्षेत्र कोयली सिमड़ा पश्चिम पंचायत के नयानंदगोला गांव में हो रहे निर्माण कार्य को लेकर स्थानीय ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों का आक्रोश चरम पर है। आरोप है कि पंचायत सरकार भवन के नाम पर सरकारी पैसे की खुली लूट मची हुई है। निर्माण स्थल पर घटिया सामग्री का उपयोग किया जा रहा है, और सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि मौके पर न तो कोई सूचना बोर्ड लगाया गया है और न ही यह स्पष्ट किया गया है कि आखिर ये भवन किस योजना के अंतर्गत और किन उद्देश्यों से बन रहा है।ग्रामीणों का कहना है कि “बिना बोर्ड के निर्माण कार्य पूरी तरह से संदेहास्पद और गैरकानूनी है। न तो यह बताया गया है कि यह भवन पंचायत सरकार का है या कोई और कार्यालय, न लागत की जानकारी है और न ही निर्माण एजेंसी की पारदर्शिता दिख रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि आख़िर यहाँ बन क्या रहा है।स्थानीय लोगों ने बताया कि निर्माण कार्य में मिट्टी-मिश्रित ईंटें, घटिया किस्म की गिट्टी और निम्न गुणवत्ता वाला सीमेंट प्रयोग हो रहा है। यह निर्माण कार्य राधा रमण सिंह की सिस्टेमेटिक कंपनी द्वारा कराया जा रहा है, जिस पर पहले भी कई निर्माण कार्यों में अनियमितताओं के आरोप लग चुके हैं।निर्माण स्थल पर मौजूद मुंशी कुंदन कुमार ने मीडिया के सवालों पर हैरान करने वाला जवाब देते हुए कहा जो सामग्री कंपनी द्वारा भेजी गई है, वही इस्तेमाल हो रही है। और बोर्ड नहीं लगाना है, यह एसडीओ साहब का आदेश है।”
इस बयान से साफ़ होता है कि भ्रष्टाचार की जड़ें सिर्फ निजी कंपनियों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत भी इसमें गहराई तक शामिल है।इस पूरे मामले को लेकर गांव के जनप्रतिनिधि और युवा एकजुट होकर विरोध दर्ज करवा रहे हैं। विरोध में शामिल प्रमुख लोग थे –
पंचायत समिति सदस्य मंटू यादव, वार्ड सदस्य अमित कुमार, मनोज कुमार, लोकेश कुमार, सुमित कुमार, सोनू कुमार, ओम कुमार, विकास कुमार, दीपक कुमार मंडल, नवीन कुमार मंडल, मनीष जायसवाल, हरेंद्र मंडल, अबोध पासवान, मिलन कुमार यादव, मयंक कुमार, विकास कुमार यादव आदि।इन सभी ने संयुक्त रूप से बयान जारी कर कहा यह सिर्फ एक भवन निर्माण में गड़बड़ी नहीं है, यह बिहार के विकास तंत्र में फैले भ्रष्टाचार की गवाही है। यदि जिला प्रशासन और राज्य सरकार ने जल्द कार्रवाई नहीं की, तो हम सड़क पर उतरकर आंदोलन करने को बाध्य होंगे।यह घटना बिहार सरकार के विकास मॉडल और पारदर्शिता की पोल खोलने के लिए पर्याप्त है। जिन पंचायत भवनों को “सुशासन” की नींव माना जाता है, वे ही अगर भ्रष्टाचार की बुनियाद पर खड़े किए जाएंगे, तो ग्रामीण विकास एक दिखावा बनकर रह जाएगा।मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से ग्रामीणों ने मांग की है कि इस निर्माण कार्य की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए, सिस्टेमेटिक कंपनी पर तत्काल रोक लगे और दोषी अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।

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