पूर्णियाँ: 4 मार्च से राजस्व कर्मचारियों का अनिश्चितकालीन धरना, 17 सूत्री मांगों को लेकर बिगुल फूंका

पूर्णिया से रुपौली संवादाता – पांडु कुमार

रूपौली (पूर्णियाँ ), 4 मार्च: बिहार राज्य भूमि सुधार कर्मचारी संघ के बैनर तले राजस्व कर्मचारियों ने अपनी लंबित मांगों को लेकर आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है। 9 फरवरी 2025 को पटना के गर्दनीबाग धरना स्थल पर एक दिवसीय प्रदर्शन किया गया था, लेकिन सरकार की ओर से कोई ठोस आश्वासन नहीं मिलने के कारण अब 4 मार्च से अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया गया है।
धरना स्थल पर राजस्व कर्मचारियों का जोश और संकल्प साफ झलक रहा था। वे अपने हक और सम्मान की लड़ाई को किसी भी हाल में अंजाम तक पहुंचाने को प्रतिबद्ध दिखा ।सरकार की अनदेखी से नाराज राजस्व कर्मचारियों ने 17 सूत्री मांगों को बुलंद करते हुए कहा कि यह संघर्ष अब सिर्फ धरना तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यदि उनकी मांगे नहीं मानी गईं तो वे आंदोलन को और उग्र करेंगे। गृह जिला में पदस्थापना: सभी नवनियुक्त राजस्व कर्मचारियों को अविलंब उनके गृह जिले में पदस्थापित किया जाए।
वेतनमान में सुधार: कर्मचारियों के कार्य एवं योग्यता के अनुसार वेतन बढ़ाकर ग्रेड वेतन ₹1900 से ₹2800 किया जाए।सेवा संपुष्टि: सभी नवनियुक्त एवं पुराने वंचित राजस्व कर्मचारियों की सेवा संपुष्टि शीघ्र कराई जाए। अतिरिक्त कार्यभार समाप्त हो: कर्मचारियों से अतिरिक्त पंचायतों का भार हटाया जाए और उन्हें केवल राजस्व कार्य तक सीमित रखा जाए। रिक्त पदों पर शीघ्र नियुक्ति: प्रत्येक पंचायत में रिक्त पड़े राजस्व कर्मचारियों के पदों को शीघ्र भरा जाए। सुरक्षा एवं सम्मान: कर्मचारियों के सुरक्षा एवं सम्मान की गारंटी सुनिश्चित की जाए।संवर्ग परिवर्तन पर रोक: अनुकंपा या अन्य परीक्षा से बहाल कर्मचारियों का संवर्ग परिवर्तन न किया जाए और यदि किया गया हो तो उसे तत्काल वापस लिया जाए। बायोमेट्रिक उपस्थिति से छूट: राजस्व कर्मचारियों को बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली से मुक्त किया जाए।धरना में शामिल राजस्व कर्मचारी जीउत कुमार ने सरकार को चेताते हुए कहा “सरकार हमसे राजस्व वसूली में तो 100% देने की उम्मीद करती है, लेकिन जब हमारी बुनियादी मांगों की बात आती है तो आंखें फेर लेती है। यह दोहरी नीति अब नहीं चलेगी। हम भीख नहीं मांग रहे, अपने हक की बात कर रहे हैं। अगर सरकार को हमारी मेहनत की जरूरत है तो हमें भी वो सम्मान मिलना चाहिए जिसके हम हकदार हैं।उन्होंने आगे कहा राजस्व कर्मचारी गांव-गांव, पंचायत-पंचायत जाकर राजस्व कार्यों को बखूबी निभाते हैं, लेकिन हमारी सुरक्षा, पदस्थापना और वेतन सुधार पर सरकार मौन क्यों है? अगर हमारी मांगे नहीं मानी गईं, तो यह आंदोलन केवल धरना तक सीमित नहीं रहेगा, हम उग्र आंदोलन के लिए भी तैयार हैं।राजस्व कर्मचारी आसिफ खान, विद्यानंद कुमार, संतोष कुमार, शिवण कुमार, संभव कुमार, गणेश कुमार समेत अन्य कर्मियों ने एक सुर में कहा कि यदि सरकार ने जल्द से जल्द कोई ठोस निर्णय नहीं लिया, तो यह आंदोलन राज्यभर में फैल सकता है।संघ के सदस्यों ने कहा कि राजस्व विभाग की रीढ़ माने जाने वाले कर्मचारी ही जब अपने अधिकारों से वंचित रहेंगे, तो सरकार की नीतियों पर सवाल उठना लाजिमी है। यह धरना सिर्फ वेतन या सुविधाओं की मांग नहीं है, बल्कि सम्मान और हक की लड़ाई है।
अब देखना होगा कि सरकार इस आंदोलन को लेकर क्या रुख अपनाती है। क्या कर्मचारियों की मांगे पूरी होंगी या यह आंदोलन और बड़ा रूप लेगा? कर्मचारियों का साफ कहना है कि जब तक न्याय नहीं मिलेगा, तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा।

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