नई दिल्ली. कुछ समय पहले तक यूक्रेन पर हुए रूसी हमले में अमेरिका उसकी खुलकर पैसे और हथियारों से मदद कर रहा था. इसके साथ ही वह संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी यूक्रेन को लेकर बहुत मुखर था. मगर अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता संभालते ही सब कुछ उलट पुलट गया. भारत को ज्ञान देने वाला अमेरिका अब दुश्मन मुल्क रूस के साथ खड़ा नजर आ रहा है. जबकि भारत तटस्थ है यानी जहां पहले था वहीं आज भी खड़ा है. ना तो उसकी नीति बदली है और ना ही नीयत. यूक्रेन पर यूएन रिपोर्ट में वोटिंग से दूर रहकर ने भारत ने इसे साफ कर दिया है.
बहुत पड़ा दबाव, पर नहीं झुका भारत
यूक्रेन युद्ध के समय तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भारत पर यूक्रेन का पक्ष लेने के लिए बहुत दबाव भी डाला. मगर भारत ने इस मामले पर अपना रुख नहीं बदला. इसके बाद सत्ता में आए डोनाल्ड ट्रंप ने न केवल यूक्रेन मसले पर रूस से बातचीत में वहां के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की को भरोसे में नहीं लिया बल्कि उनके बातचीत में शामिल होने को गैर- जरूरी तक करार दिया था. वहीं एक दिन पहले ही संयुक्त राष्ट्र में यूक्रेन संकट पर हुई वोटिंग के मामले में अमेरिका ने रूस से हाथ मिला लिया. जबकि इस वोटिंग से गैर-मौजूद रहा. ऐसा भारत ने रणनीतिक स्वायत्तता (Strategic Autonomy) की नीति के तहत किया.